सिद्धिदात्री असाधारण सिद्धियों) की दाता हैं। सिद्धियाँ जीवन के हर क्षेत्र में पूर्णता और समग्रता लाती हैं। देवी पुराण के अनुसार, आठ सिद्धियाँ हैं। शिव ने ये सिद्धियाँ महाशक्ति की आराधना से प्राप्त कीं, जो बाद में शिव के बाएँ भाग से सिद्धिदात्री के रूप में प्रकट हुईं। शिव जी और सिद्धिदात्री (शक्ति) का संयुक्त रूप अर्धनारीश्वर है, जो
पौरुष (चेतना) और प्रकृति (सृष्टि) के मिलन का प्रतीक है।
उनके मन्त्र में कहा गया है, “सिद्ध गंधर्व यखाद्यैरा (ए) सुरैर अमरैरपि, सेव्यमाना सदा भुयत सिद्धिधा सिद्धिदायिनी” अर्थात “सिद्धों, गंधर्वों, यक्षों, अध्यों, असुरों और अमर देवों से, जिनकी ये सभी हमेशा सेवा करते हैं, हे सिद्धियों के दाता, कृपया मुझे अपनी दया से उन सिद्धियों को प्रदान करें, ।”
Picture Credit: Watercolour by Manohar Saini
सिद्धिदात्री असाधारण सिद्धियों) की दाता हैं। सिद्धियाँ जीवन के हर क्षेत्र में पूर्णता और समग्रता लाती हैं। देवी पुराण के अनुसार, आठ सिद्धियाँ हैं। शिव ने ये सिद्धियाँ महाशक्ति की आराधना से प्राप्त कीं, जो बाद में शिव के बाएँ भाग से सिद्धिदात्री के रूप में प्रकट हुईं। शिव जी और सिद्धिदात्री (शक्ति) का संयुक्त रूप अर्धनारीश्वर है, जो
पौरुष (चेतना) और प्रकृति (सृष्टि) के मिलन का प्रतीक है।
उनके मन्त्र में कहा गया है, “सिद्ध गंधर्व यखाद्यैरा (ए) सुरैर अमरैरपि, सेव्यमाना सदा भुयत सिद्धिधा सिद्धिदायिनी” अर्थात “सिद्धों, गंधर्वों, यक्षों, अध्यों, असुरों और अमर देवों से, जिनकी ये सभी हमेशा सेवा करते हैं, हे सिद्धियों के दाता, कृपया मुझे अपनी दया से उन सिद्धियों को प्रदान करें, ।”
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