वटपूर्णिमा का व्रत सावित्री की यशोगाथा और महिमा से प्रेरित है। सत्यवान-सावित्री की कथा महाभारत और स्कंद पुराण में वर्णित है।
सावित्री, मद्र देश की राजकुमारी थीं। उन्होंने एक वनवासी और गरीब राजकुमार सत्यवान को अपना पति चुना। देवर्षि नारद ने चेतावनी दी कि सत्यवान एक वर्ष के भीतर मर जाएगा, लेकिन फिर भी सावित्री ने उसी से विवाह किया।
जब सत्यवान का नियत मृत्युकाल आया, तो यमराज उनकी आत्मा लेने आए। उस समय सावित्री और यमराज के बीच हुए तर्क-वितर्क को नीति और ज्ञान का आदर्श संवाद माना जाता है। अंततः यमराज ने प्रभावित हो कर सावित्री को चार वरदान दिए। सावित्री ने अपने ससुराल, पिता, और परिवार की भलाई माँगी और फिर सौ पुत्रों का वर मांगा।
यमराज के तथास्तु कहने के बाद सावित्री ने कहा कि वह तो पुनर्विवाह नहीं करेंगी, यमराज का वरदान तभी सफल हो सकेगा जब सत्यवान जीवित हो। स्वयं के वचन में बंधे यमराज ने हार कर सत्यवान को जीवनदान दे दिया।
कालांतर में यह कथा वट सावित्री व्रत की परंपरा बनी, जिसमें महिलाएं ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों को धारण करने वाले, और दीर्घ आयु वाले वट-वृक्ष (बरगद) के चारों ओर धागा बांध कर अपने पति की दीर्घायु और समृद्धि की कामना करती हैं।
वटपूर्णिमा का व्रत सावित्री की यशोगाथा और महिमा से प्रेरित है। सत्यवान-सावित्री की कथा महाभारत और स्कंद पुराण में वर्णित है।
सावित्री, मद्र देश की राजकुमारी थीं। उन्होंने एक वनवासी और गरीब राजकुमार सत्यवान को अपना पति चुना। देवर्षि नारद ने चेतावनी दी कि सत्यवान एक वर्ष के भीतर मर जाएगा, लेकिन फिर भी सावित्री ने उसी से विवाह किया।
जब सत्यवान का नियत मृत्युकाल आया, तो यमराज उनकी आत्मा लेने आए। उस समय सावित्री और यमराज के बीच हुए तर्क-वितर्क को नीति और ज्ञान का आदर्श संवाद माना जाता है। अंततः यमराज ने प्रभावित हो कर सावित्री को चार वरदान दिए। सावित्री ने अपने ससुराल, पिता, और परिवार की भलाई माँगी और फिर सौ पुत्रों का वर मांगा।
यमराज के तथास्तु कहने के बाद सावित्री ने कहा कि वह तो पुनर्विवाह नहीं करेंगी, यमराज का वरदान तभी सफल हो सकेगा जब सत्यवान जीवित हो। स्वयं के वचन में बंधे यमराज ने हार कर सत्यवान को जीवनदान दे दिया।
कालांतर में यह कथा वट सावित्री व्रत की परंपरा बनी, जिसमें महिलाएं ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों को धारण करने वाले, और दीर्घ आयु वाले वट-वृक्ष (बरगद) के चारों ओर धागा बांध कर अपने पति की दीर्घायु और समृद्धि की कामना करती हैं।